13 जनवरी, 2018 – चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया द्वारा कांग्रेस के काले कारनामों की फाइल खुलते ही बौखलाने वाले 4 जजों को पत्रकार के जवाब से तगड़ा झटका लगा है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि देश में जजों की तनख्वाह तो अच्छी है ही लेकिन इसके आलावा जजों को घर नहीं बल्कि आलीशान बंगला रहने को मिलता है, नौकर और गाड़ी मिलती है. लेकिन ये भी सच है कि आजादी के बाद से लेकर अब तक देश की अदालतों में करीब तीन करोड़ से ज्यादा केस लंबित पड़े हुए हैं.
यदि हमारे देश के जज अच्छे से काम करते तो ऐसी नौबत ही नहीं आती. केसों को सुलझाने के बजाय हमारे जज गर्मियों-सर्दियों की छुट्टियों का खूब मजा लेते हैं. और वे कब और किस दिन छुट्टी करेंगे, ये भी खुद उनकी मर्जी पर निर्भर है, क्योंकि तनख्वाह तो कटनी है नहीं. कल ऐसे ही चार जज जनता के सामने आये.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कल यानि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में कोई छुट्टी नहीं थी और कोर्ट खुला हुआ था. लेकिन जज साहब कोर्ट में गए ही नहीं और काम छोड़कर प्रेस कांफ्रेंस में उतर गए. सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने कल पूरा दिन काम नहीं किया और उनके पास जो भी केस आये थे वे एक दिन और देर से देखे जायेंगे. इसके बाद यही जज कह रहे हैं कि अदालतों में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है. इसी मुद्दे पर प्रहार करते हुए पत्रकार अनुराग मुस्कान ने किया ये ट्वीट..
वैसे चारों जजों ने ठीक ही कहा की न्यायपालिका में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा क्यूंकि अगर सबकुछ ठीक चल रहा होता तो आज़ादी के बाद से अब तक देश की तमाम अदालतों में तीन करोड़ से ज़्यादा मामले लंबित ना पड़े होते.
— Anuraag Muskaan (@anuraagmuskaan) January 13, 2018
देश के अन्दर 3 करोड़ से ज्यादा केस पेंडिंग हैं लेकिन हमारे जज इनकी परवाह न करते हुए प्रेस कांफ्रेंस में लगे हुए हैं. दिनभर काम नहीं करते. इनसे सवाल करने वाला भी कोई नहीं है कि आप लोग काम छोड़कर प्रेस कांफ्रेंस कैसे कर सकते हो? प्रेस कांफ्रेंस तो काम के बाद यानि शाम को भी तो की जा सकती है. लेकिन इनको तो दिन में ही करना है क्योंकि पुरे दिन काम करने का मन तो था नहीं और न ही किया.
इससे आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं या समझ सकते हैं कि जिसको मीलॉर्ड कहा जाता है वे अपने कर्तव्य के प्रति कितने सजग हैं. प्रेस कांफ्रेंस में यही जज कहते हैं कि लोकतंत्र खतरे में है, जबकि देश में सब कुछ सही ढंग से चल रहा है. देश का विकास हो रहा है, सब अपने कामों में लगे हुए हैं. लेकिन इसके बाद भी ये चारों जज काम छोड़कर लोकतंत्र के खतरे की बात करते हैं. इन्हीं लोगों की लापरवाही से अदालतों में इतनी बड़ी संख्या में केस लंबित हैं.